sidh kunjika No Further a Mystery
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दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
नमः कैटभ हारिण्यै, नमस्ते महिषार्दिनि।।
क्लींकारी काल-रूपिण्यै, बीजरूपे नमोऽस्तु ते।।
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
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